जीवनभर की जमा लाखों की पूंजी दान कर आश्रम में चली गई वृद्धा
उम्रभर की जमापूंजी को दान कर आश्रम में चली गई वृद्धा
उम्रभर की जमापूंजी को दान कर आश्रम में चली गई वृद्धा
खुड़बुड़ा स्थित गुरु नानक इंटर कॉलेज में शिक्षक रहीं पुष्पा ने उम्रभर की जमा की गई लाखों की पूंजी गरीबों के इलाज के लिए दान कर दी। इसके बाद वह खुद वृद्धाश्रम में रहने को चली गईं।
देहरादून, [सुकांत ममगाईं]: हिंदू धर्म ग्रंथों में कहा गया है कि न्यायपूर्वक एवं ईमानदारी से अर्जित धन का दसवां हिस्सा दान करना चाहिए। ऐसे मनुष्यों का जीवनभर सम्मान होता है। पर कुछ लोग ऐसे भी लोग हैं, जो अपने उम्रभर की कमाई ही समाज के लिए दान कर देते हैं। इन्हीं में एक हैं देहरादून की सेवानिवृत्त शिक्षक पुष्पा मुंज्याल। उन्होंने अपनी सारी जमा पूंजी गरीब एवं बेसहारा लोगों के इलाज के लिए दान दे दी और खुद वृद्धाश्रम में रह रही हैं।
खुड़बुड़ा स्थित गुरु नानक इंटर कॉलेज में शिक्षक रहीं पुष्पा वर्ष 1999 में सेवानिवृत्त हुईं। समाज सेवा उनका ध्येय रहा, इसी कारण उन्होंने शादी भी नहीं की। सेवानिवृत्ति के बाद वर्ष 2011 में उन्होंने अपनी जीवनभर की कमाई (25 लाख रुपये) प्रदेश के सबसे बड़े अस्पतालों में शुमार देहरादून अस्पताल को दान दे दी।
यह रकम एक एफडी के रूप में अस्पताल को दी गई है। दानकर्ता के मुताबिक अस्पताल के सामने यह शर्त रखी गई है कि वह मूल रकम खर्च नहीं करेगा। इससे मिलने वाले सालाना ब्याज से मरीजों की मदद की जाएगी। यह रकम डेढ़ लाख से एक लाख 80 हजार रुपये सालाना बैठती है। इस रकम से अस्पताल की कई छोटी-छोटी जरूरतें भी पूरी हो रही हैं।
अस्पताल के चिकित्सा अधीक्षक डॉ. केके टम्टा के अनुसार सेवानिवृत्त शिक्षिका ने तकरीबन छह वर्ष पूर्व एफडी के रूप में यह रकम अस्पताल को दी थी। इससे मिलने वाले ब्याज से छोटे-छोटे ही सही, पर कई आवश्यक काम होते आए हैं। उनका कहना है कि अन्य लोगों को भी इसी तरह समाज सेवा में आगे आना चाहिए।
खुद रहती हैं वृद्धाश्रम में
समाज में अधिकांश लोग आत्मकेंद्रित होकर व्यक्तिगत संघर्षों में ही उलझकर रह जाते हैं। जबकि, पुष्पा खुद 'अंधकार' में रहकर दूसरों की जिंदगी का 'उजियारा' बन गई हैं। वह अब 75 वर्ष की हैं और दोनों आंखों से दिखना बंद हो गया है। चाहतीं तो 25 लाख रुपये की रकम से आरामदायक जीवन जी सकती थीं। लेकिन, इस कमाई को दान में देकर वह खुद मोहिनी रोड स्थित वृद्धाश्रम में रह रही हैं।
भाई के कैंसर से हुई थी मौत
पुष्पा बताती हैं कि उनका एक भाई था, जिसकी कुछ बरस पहले ही कैंसर से मौत हो चुकी है। कहती हैं, जब कभी भी स्वास्थ्य सुविधाओं की बात होती है, हम सरकारी तंत्र की ओर टकटकी लगाए रहते हैं। लेकिन, यदि समाज के संपन्न लोग आगे आएं तो कई जरूरतमंदों की मदद हो सकती है। उन्होंने इस उम्मीद के साथ ही यह राशि दान दी की कि जरूरतमंद लोग इलाज से महरूम न रहें।
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